truth of truth - 1 in Hindi Philosophy by Akshay jain books and stories PDF | हकीकत वास्तविकता - 1

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

Categories
Share

हकीकत वास्तविकता - 1

हकीकत इस शब्द से महज सभी लोग पीछा छुड़ाते हैं। कोई नहीं जानना चाहता हकीकत को। सभी लोग आंखों को बंद करके जीना चाहते हैं और जीते भी हैं। पूरा जीवन उस बिल्ली कि तरह जीते हैं जो दूध पीते वक्त आंख बंद कर लेती है और समझती है कि उसे कोई नहीं देख रहा। ये उसका भ्रम होता है न कि हकीकत!
लोग अपने स्वार्थ के लिए किसी भ्रम को ही हकीकत मान लेते हैं और उसी के सहारे जीवन गुजार देते हैं। क्षमा कीजिए आप लोग सोच रहे होंगे कि ऐसा कौन सा हकीकत है जो कोई नहीं जानता? तो मै आपको बता दूं कि यहां किसी रहस्यमय हकीकत या गोपनीय हकीकत की बात नहीं कर रहा हूं। बल्कि मै यह कहने का प्रयास कर रहा हूं कि हकीकत का इंसान से कोई वास्ता ही नहीं रह गया है।क्यों लोग अपने सुख के लिए हकीकत से मुंह मोड़कर भ्रम अथवा झूठ को ही हकीकत मान लेते हैं।
जैसे कोई सरकारी सेवक अपने किए हुए घोटालों को ही जीवन का सत्य मानकर उसमें ही आनंद मानता है। तो कोई कोई शिक्षक पढ़ाई के नाम पर विद्यालय में समय काटने को ही हकीकत मान लेता है। इस प्रकार हर कोई अपने जीवन में हकीकत से मुंह मोड़कर मात्र दिखावा को ही महत्व से रहे हैं।
यहां प्रश्न ये भी ही सकता है कि इससे आपको क्या परेशानी है?
तो परेशानी अधिकांश हकीकत से मुंह मोड़ने वालों को नहीं होती बल्कि उनके कारण अनेक लोगों को होती है।जैसे अगर कोई शिक्षक ठीक से अपना काम ना करे तो कितने बच्चों को परेशानी होती है। ऐसे ही कोई वैध ठीक से काम न करे तो.........!
इस तरह अनेक लोग मात्र इस वास्तविकता को नहीं अपनाने के कारण अनेकों को दुखी करते हैं। और कई तो खुद भी पछताते हैं। इस तरह मात्र स्वयं के स्वार्थ के लिए हकीकत को छुपाकर अनेकों को कष्ट देना आज लोगों की आदत सी बन गई है। कोई जानना ही नहीं चाहता की जीवन का वास्तविक सत्य है क्या?
हां! मै मानता हूं कि सभी अपनी खुशी के लिए प्रयास करते हैं। और अपनी सुख सुविधाओं के लिए कुछ भी कर सकते हैं। लेकिन क्या मात्र यही उपाय है कि दूसरों को दुखी करके है सुखी हुआ जाए? यदि ऐसी सोच किसी इंसान की है तो उस इंसान ने अपनी सबसे बड़ी हकीकत को ही नहीं पहचाना है जो है, इंसानियत
क्योंकि इंसानियत तो यही कहती है कि सभी आपस में प्यार से रहें। और यही जीवन का हकीकत है।क्यों सभी ये भूल जाते हैं कि हम ही एक नहीं है दुनिया में , और भी अनेक लोग हैं उनके भी घर परिवार हैं। क्या वे खुश रहना नहीं चाहते, क्या उन्हें नहीं लगता होगा की हम भी शांति पूर्वक जीवन व्यतीत करें?
इसका तो बस यही उपाय है कि सभी भ्रम में न जीकर हकीकत में जियें। जिससे सभी खुश रहेंगे। क्योंकि स्वार्थ से दुख ही होता है चाहे आप को हो या अपनों को।
यहां मैने हकीकत शब्द की कुछ भूमिका बनाने का प्रयास किया है। मै आगे आप सभी के सामने इस हकीकत शब्द से जुड़े कुछ रोचक विचार आपके सामने प्रस्तुत करूंगा।
और आपसे विशेष अनुरोध है कि यदि आपको कोई भी बात अनुचित लगे तो आप बेशक हमें प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
To be continue......